सूबे की अफसरशाही कछुए को मात देने पर आमादा है। यूं कहें कि काम की गति इस कदर धीमी कि कछुए को भी शरम आ जाए। मामला चाहे कितना भी महत्वपूर्ण क्यों न हो, अफसरशाही है कि रिमांइडर को भी तरजीह देने को तैयार नहीं। हालात पर 'सरकार' चिंतित है, फिर भी यह आस लगाए है कि वर्किंग स्टाइल में जल्द बदलाव आएगा।
मामले के मुताबिक गत चार व पांच फरवरी को नई दिल्ली में मुख्य सचिवों का वार्षिक सम्मेलन आयोजित हुआ था, इसमें सूबे का प्रतिनिधित्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने किया। सम्मेलन के समापन पर यह तय किया गया कि सभी राज्य, सम्मेलन में पारित अनुपालन बिंदुओं के दृष्टिगत अपने यहां संबंधित महकमों से रायशुमारी कर एक कंपलीट रिपोर्ट तैयार कर केंद्र को भेजेंगे, ताकि मामले में केंद्रीय
स्तर पर आगे की रणनीति तय की जा सके। अब कार्यवाही करते हुए सामान्य प्रशासन ने विभागों के प्रमुख सचिवों व सचिवों को पत्र लिखकर अनुपालन बिंदुओं के संबंध में आधारभूत सामग्री व टिप्पणी (हिंदी या अंग्रेजी में हार्ड एवं साफ्ट कापी तैयार कर सीडी सहित) शीघ्र उपलब्ध कराने का आग्रह किया। यहां देखिए अफसरशाही का कमाल, गृह व माध्यमिक शिक्षा विभाग के सिवाय किसी भी महकमे ने इस पर
ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी। गत 23 सितंबर को सामान्य प्रशासन ने रिमांइडर भेजा लेकिन स्थिति वहीं ढाक के तीन पात। अफसरशाही के इस हीलाहवाली की खबर पिछले दिनों मुख्यमंत्री सचिवालय तक जा पहुंची। 'सरकार' ने हालात पर बेहद चिंता जताई। अब सचिव सामान्य प्रशासन मनीषा पंवार ने एक बार फिर से अफसरशाही को रिमाइंडर भेज मामले की अहमियत को समझाते हुए कार्यवाही का आग्रह किया है। उधर,
मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने मुख्यमंत्री सचिवालय की मंशा से अफसरशाही को अवगत कराते हुए उम्मीद जताई है कि ऐसे अहम मामलों अफसरशाही जरूर तेजी दिखाएगी।